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निर्धन वह नहीं, जो एक या दो खजूर तथा एक या दो निवाला पा कर लौट जाए। असल निर्धन वह है, जो माँगने से बचता हो।
निर्धन वह नहीं, जो एक या दो खजूर तथा एक या दो निवाला पा कर लौट जाए। असल निर्धन वह है, जो माँगने से बचता हो।
अबू हुरैरा- रज़ियल्लाहु अन्हु- से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमायाः निर्धन वह नहीं, जो एक या दो खजूर तथा एक या दो निवाला पा कर लौट जाए। असल निर्धन वह है, जो माँगने से बचता हो।
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]