ऐ अमीरुल मोमेनीन, अल्लाह तआला ने अपने नबी- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से कहा हैः "خذ العفو وأمر بالعرف وأعرض عن الجاهلين" (अर्थात्,…

ऐ अमीरुल मोमेनीन, अल्लाह तआला ने अपने नबी- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से कहा हैः "خذ العفو وأمر بالعرف وأعرض عن الجاهلين" (अर्थात्, क्षमा करते रहें, भली बात का आदेश दें और अज्ञानियों से मुँह फेर लें।) और यह अज्ञानियों में हैं।

अब्दुल्लाह बिन अब्बास- रज़ियल्लाहु अन्हुमा- कहते हैंः उययना बिन हिस्न आया और अपने भतीजे हुर्र बिन क़ैस के पास ठहरे। हुर्र बिन क़ैस उन लोगों में शामिल थे, जिन्हें उमर- रज़ियल्लाहु अन्हु- अपने निकट रखा करते थे। उमर- रज़ियल्लाहु अन्हु- के पास बैठने वाले उलमा ही हुआ करते थे; अधेड़ हों या जवान। चुनांचे उययना ने हुर्र बिन क़ैस से कहाः ऐ भतीजे, तुम्हारा खलीफ़ा के पास एक विशेष स्थान है। अतः मुझे उनसे मिलने की अनुमति लेकर दो। सो उन्होंने अनुमति माँगी और उमर- रज़ियल्लाहु अन्हु- ने उन्हें अमुमति दे दी। जब वे उनके पास आए, तो कहाः ऐ ख़त्ताब के बेटे, अल्लाह की क़सम, तुम हमें अधिक नहीं देते और हमारे बीच न्याय के साथ निर्णय नहीं करते। इसपर उमर- रज़ियल्लाहु अन्हु- गुस्से में आ गए, यहाँ तक उन्हें मारने का इरादा कर लिया। यह देखकर हुर्र ने कहाः 'ऐ अमीरुल मोमेनीन, अल्लाह तआला ने अपने नबी- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से कहा हैः "خذ العفو وأمر بالعرف وأعرض عن الجاهلين" (अर्थात्, क्षमा करते रहें, भली बात का आदेश दें और अज्ञानियों से मुँह फेर लें।) और यह अज्ञानियों में हैं।' अल्लाह की क़सम, उमर - रज़ियल्लाहु अन्हु- यह आयत सुनने के बाद इससे ज़रा भी आगे न बढ़े। दरअसल, वे अल्लाह की किताब के निकट बहुत ज़्यादा ठहरने वाले थे।

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।]

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सहाबा रज़ियल्लाहु अनहुम की फ़ज़ीलत, इमाम (शासनाध्यक्ष) के उत्तरदायित्व, इस्लाम में प्रामर्श व्यवस्था