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मेरी उम्मत का निर्धन वह व्यक्ति है, जो क़यामत के दिन नमाज़, रोज़ा और ज़कात के साथ आए, लेकिन इस अवस्था में उपस्थित हो…
मेरी उम्मत का निर्धन वह व्यक्ति है, जो क़यामत के दिन नमाज़, रोज़ा और ज़कात के साथ आए, लेकिन इस अवस्था में उपस्थित हो कि किसी को गाली दे रखी हो, किसी पर दुष्कर्म का आरोप लगा रखा हो, किसी का रक्त बहा रखा हो और किसी को मार रखा हो, अतः इसे उसकी कुछ नेकियाँ दे दी जाएंगी और इसे कुछ नेकियाँ दे दी जाएंगी।
अबू हुरैरा- रज़ियल्लाहु अन्हु- नबी- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से रिवायत करते हैं कि आपने फ़रमायाः "क्या तुम जानते हो कि निर्धन कौन है?" सहाबा ने कहाः हमारे निकट निर्धन वह है, जिसके पास न दिरहम हो न सामान। आपने कहाः "मेरी उम्मत का निर्धन वह व्यक्ति है, जो क़यामत के दिन नमाज़, रोज़ा और ज़कात के साथ आए, लेकिन इस अवस्था में उपस्थित हो कि किसी को गाली दे रखी हो, किसी पर दुष्कर्म का आरोप लगा रखा हो, किसी का रक्त बहाया हो और किसी को मारा हो, अतः इसे उसकी कुछ नेकियाँ दे दी जाएंगी और इसे कुछ नेकियाँ दे दी जाएंगी। फिर अगर उसके ऊपर जो हक़ हैं, उन्हें अदा करने से पहले उसकी नेकियाँ समाप्त हो जाएं, तो हक़ वालों के कुछ गुनाह उसके ऊपर डाल दिए जाएंगे, फिर उसे आग में फेंक दिया जाएगा।"
[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]