फ़ज़ीलतें तथा आदाब

फ़ज़ीलतें तथा आदाब

203- हमें अल्लाह ने सिखा दिया है कि हम आपपर सलाम कैसे भेजें, लेकिन हम आपपर दरूद कैसे भेजें? तो आपने फ़रमायाः "कहोः "اللَّهُمَّ صَلِّ على محمد وعلى آل محمد؛ كما صَلَّيْتَ على إبراهيم، إنَّك حميد مجيد، وبَارِكْ على محمد وعلى آل محمد؛ كما باركت على إبراهيم، إنَّك حميد مجيد" (अर्थात ऐ अल्लाह! मुहम्मद और मुहम्मद की संतान पर रहमत नाज़िल फरमा, जैसे तूने इबराहीम पर रहमत नाज़िल की थी। बेशक तू प्रशंसा के योग्य और महिमावान है। ऐ अल्लाह! मुहम्मद और मुहम्मद की संतान पर बरकत नाज़िल फरमा, जैसे तूने इबराहीम पर बरकत नाज़िल की थी। बेशक तू प्रशंसा के योग्य और महिमावान है।)