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फ़ज़ीलतें तथा आदाब
फ़ज़ीलतें तथा आदाब
2- जब कोई अपने किसी भाई से मोहब्बत रखे, तो उसे बता दे कि वह उससे मोहब्बत रखता है
11- सबसे उत्तम ज़िक्र 'ला इलाहा इल्लल्लाह' है।
12- जन्नत, तुममें से किसी एक व्यक्ति से उसके जूते के फीते से भी अधिक निकट है तथा नर्क का भी यही हाल है।
15- जहन्नम को अभिलाषाओं से और जन्नत को नापसंदीदा चीज़ों से घेर दिया गया है
17- अल्लाह उस व्यक्ति पर दया करे, जो बेचते, खरीदते और क़र्ज का तकाजा करते समय नर्मी से काम ले
22- अल्लाह तुम्हारे शरीर और तुम्हारे रूप को नहीं देखता, बल्कि तुम्हारे दिलों और कर्मों को देखता है।
23- सभी कार्यों का आधार नीयतों पर है और प्रत्येक व्यक्ति को उसकी नीयत के अनुरूप ही परिणाम मिलेगा।
29- कुछ लोग अल्लाह के धन में नाहक़ तसर्रुफ़ करते हैं। उन्हीं लोगों के लिए क़यामत के दिन जहन्नम है।
32- भलाई का प्रत्येक कार्य सदक़ा है।
34- बलवान वह नहीं है, जो किसी को पछाड़ दे, बलवान तो वह है, जो क्रोध के समय अपने आप को नियंत्रण में रखे।
46- जन्नत में सर्वाधिक प्रवेश कराने वाली चीज़ अल्लाह का तक़वा (डर, भय) और अच्छे अख़लाक़ (शिष्टाचार) हैं।
48- दुआ ही इबादत है।
51- जो अपने भाई के सम्मान व आबरू की रक्षा करे, क़यामत के दिन अल्लाह जहन्नम की अग्नि से उसकी रक्षा करेगा।
58- दयालुता जिसमें भी होती है, उसे सुंदर बना देती है और जिससे निकाल ली जाती है, उसे कुरूप कर देती है।
100- يا مقلب القلوب ثبت قلبي على دينك (अर्थात्ः ऐ दिलों को पलटने वाले, मेरे दिल को अपने धर्म पर जमाए रख।)
147- जो व्यक्ति दुनिया में किसी के दोष पर पर्दा डालेगा, अल्लाह क़यामत के दिन उसकी कमियों पर पर्दा डालेगा।
183- ऐ लोगो! अल्लाह के सामने तौबा करो और उससे क्षमा माँगो, क्योंकि खुद मैं दिन में सौ बार तौबा करता हूँ।
215- हे अल्लाह, तू मेरे समस्त पापों को क्षमा कर दे; छोटे-बड़े, स्पष्ट-अस्पष्ट तथा अगले-पिछले सभी को।
246- तीन प्रकार के लोगों से अल्लाह क़यामत के दिन न बात करेगा, न उन्हें पवित्र करेगा और न उनकी ओर देखेगा।
248- अल्लाह के निकट सबसे घटिया और तुच्छ व्यक्ति वह है, जो शहंशाह कहलवाए। वास्तविक बादशाह तो बस अल्लाह है।
250- क्या तुम जानते हो कि झूठ तथा मिथ्यारोपन क्या है? यह लोगों के बीच लगाई-बुझाई की बातें करते फिरना है।
266- अल्लाह ने अपने नबी को आवाज़ को सुरीली बनाने की जिस प्रकार अनुमति दी है किसी और वस्तु की नहीं दी
276- जो व्यक्ति मेरे हवाले से कोई बात बताए और उसे लगता हो कि वह झूठ है, तो वह दो झूठों में से एक है।
297- घंटी शैतान का भजन है
300- मुनाफ़िक़ को सैयद (आक़ा, सरदार) मत कहो, क्योंकि यदि वह सैयद है, तो तुमने अपने रब को नाराज़ किया
347- अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने हमें सात बातों का आदेश दिया है और सात जीचों से रोका है।
436- कभी ऐसा नहीं हुआ कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से कुछ माँगा गया और आपने ना कह दी।
451- जन्नत की हमेशा बाकी रहने वाली नेमतों की ओर प्रेरित करना और जहन्न की दुखदायी यातना से सावधान करना।
455- मैंने अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को ज़मज़म का पानी पिलाया और आपने खड़े-खड़े पी लिया।
485- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने मशक या घड़े में मुँह लगाकर पानी पीने से मना किया है।
486- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने मशकों का मुँह मोड़कर उनसे पानी पीने से मना किया है।
492- ऐ अल्लाह, जिस प्रकार तूने मेरी शक्ल-सूरत अच्छी बनाई है, उसी प्रकार मेरे अख़लाक़ भी अच्छे बना दे।
522- ऐ अल्लाह, मैं तेरी शरण माँगता हूँ, विवशता तथा सुस्ती से, कंजूसी और बुढ़ापे से एवं क़ब्र की यातना से।
526- हम लोग किसी सफ़र में नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के साथ थे कि इसी बीच एक व्यक्ति सवार होकर आया।
550- जब हम किसी ऊँचे स्थान पर चढ़ते , तो अल्लाहु अकबर कहते और जब ढलान पर आते तो सुबहानल्लाह कहा करते थे
599- अल्लाह ज्ञान को लोगों से छीनकर नहीं उठाएगा, बल्कि वह ज्ञान को बंदों से उलेमा को मौत देकर उठाएगा
636- ऐ अबू बत्न, हम केवल शांति स्थापित करने के लिए जाते हैं और इसी लिए हर मिलने वाले को सलाम करते हैं।
639- कोई दास जब अपने मालिक का शुभचिंतक रहे और अच्छी तरह अल्लाह की इबादत करे, उसे दोगुना प्रतिकार मिलेगा