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तुम लोग सात विनाशकारी वस्तुओं से बचो
तुम लोग सात विनाशकारी वस्तुओं से बचो
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "तुम लोग सात विनाशकारी वस्तुओं से बचो।" लोगों ने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! वह क्या-क्या हैं? आपने फ़रमाया : "अल्लाह का साझी बनाना, जादू, अल्लाह के हराम किए हुए प्राणी को औचित्य ना होने के बावजूद क़त्ल करना, ब्याज खाना, यतीम का माल खाना, युद्ध के मैदान से पीठ दिखाकर भागना और निर्दोष भोली-भाली मोमिन स्त्रियों पर व्यभिचार का आरोप लगाना।"
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अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपनी उम्मत को सात विनाशकारी अपराधों एवं गुनाहों से बचने का आदेश दे रहे हैं। जब आपसे पूछा गया कि यह सात गुनाह क्या-क्या हैं, तो आपने उनको बयान करते हुए फ़रमाया : 1- अल्लाह का साझी ठहराना। यानी किसी भी प्रकार से किसी को अल्लाह का समान ठहराना और कोई भी इबादत अल्लाह के अतिरिक्त किसी और के लिए करना। आपने सबसे पहले शिर्क का ज़िक्र इसलिए किया कि शिर्क सबसे बड़ा गुनाह है। 2- जादू करना। जादू से मुराद है धागा आदि पर इस तरह गिरह लगाना, मंत्र पढ़ना और दवाओं तथा नशा लाने वाली चीज़ों का इस्तेमाल करना, जो जादू किए हुए व्यक्ति के शरीर को प्रभावित करते हुए उसे बीमार कर दे या उसकी जान ले ले या पति-पत्नी के बीच में जुदाई डाल दे। यह एक शैतानी कार्य है। अधिकतर समय जादू उसी समय काम करता है, जब शिर्क वाले काम किए जाएँ और दुष्ट रूहों को खुश करने के लिए उनके मन के अनुसार कुछ किया जाए। 3- किसी ऐसे व्यक्ति की हत्या कर देना, जिसकी जान लेने से अल्लाह ने मना किया हो। जाने लेने की अनुमति केवल उसी समय है, जब कोई शरई कारण पाया जाए और यह काम शासक के द्वारा किया जाए। 4- सूद लेना या देना। चाहे उसे खाया जाए या उससे किसी अन्य प्रकार का लाभ उठाया जाए। 5- किसी बच्चे के माल पर हाथ साफ़ करना, जो नाबालिग़ हो और उसका बाप मर गया हो। 6- काफ़िरों के साथ हो रहे युद्ध के मैदान से भाग खड़ा होना। 7- पाकदामन आज़ाद औरतों पर व्यभिचार का आरोप लगाना। इसी तरह पाकदामन आज़ाद मर्दों पर व्यभिचार का झूठा आरोप लगाना भी विनाशकारी गुनाह है।فوائد الحديث
बड़े गुनाह केवल सात ही नहीं हैं। लेकिन विशेष रूप से इनका उल्लेख इसलिए किया गया है कि यह सात गुनाह कुछ ज़्यादा ही ख़तरनाक हैं।
अगर कोई शरई कारण, जैसे क़िसास, इस्लाम का परित्याग और शादीशुदा होने के बावजूद व्यभिचार में लिप्त होना आदि पाया जाए, तो किसी की जान लेना जायज़ है। लेकिन यह काम शरई शासक का है।