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फ़ज़ीलतें तथा आदाब - الصفحة 3
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2- अज़ान तथा इक़ामत के बीच की जाने वाली दुआ रद्द नहीं होती।
3- ऐ अल्लाह! मेरे लिए मेरे धर्म को सुधार दे, जो मेरे मामले का संरक्षण है
5- ऐ अल्लाह! मैं तुझसे दुनिया एवं आख़िरत में सुरक्षा माँगता हूँ।
7- ऐ अल्लाह! मैं तेरी शरण माँगता हूँ क़र्ज़ के बोझ तथा शत्रुओं के हावी होने और दुश्मनों के हँसने से।
11- “सय्यदुल इस्तिग़फार (सर्वश्रेष्ठ क्षमायाचना)
25- तीन प्रकार के लोगों से अल्लाह क़यामत के दिन न बात करेगा, न उन्हें पवित्र करेगा और न उनकी ओर देखेगा।
27- अल्लाह के निकट सबसे घटिया और तुच्छ व्यक्ति वह है, जो शहंशाह कहलवाए। वास्तविक बादशाह तो बस अल्लाह है।
28- क्या तुम जानते हो कि झूठ तथा मिथ्यारोपन क्या है? यह लोगों के बीच लगाई-बुझाई की बातें करते फिरना है।
45- क्या तुम जानते हो कि निर्धन कौन है?
47- जो व्यक्ति मेरे हवाले से कोई बात बताए और उसे लगता हो कि वह झूठ है, तो वह झूठों में से एक है।
65- एक मर्द दूसरे मर्द के गुप्तांग और एक महिला दूसरी महिला के गुप्तांग को न देखे
93- क़यामत के दिन मौत को एक चितकबरे मेंढे
94- तुम्हारी आग जहन्नम की आग के सत्तर भागों में से एक भाग है
95- जिसने जान-बूझकर मुझपर झूठ बोला, वह अपना ठिकाना जहन्नम बना ले।
97- ज्ञान इसलिए न अर्जित करो कि उलेमा से बहस कर सको और अज्ञान लोगों से झगड़ सको
98- अल्लाह ने एक उदाहरण दिया है। एक सीधा रास्ता है
