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फ़ज़ीलतें तथा आदाब - الصفحة 3
फ़ज़ीलतें तथा आदाब - الصفحة 3
5- कंजूस वह व्यक्ति है, जिसके सामने मेरा नाम लिया जाए और वह मुझपर दरूद न भेजे।
10- दो नेमतें ऐसी हैं, जिनमें अधिकतर लोग अपना नुक़सान करते हैंः स्वास्थ्य तथा फुरसत के क्षण।
14- हे अल्लाह, तू मेरे समस्त पापों को क्षमा कर दे; छोटे-बड़े, स्पष्ट-अस्पष्ट तथा अगले-पिछले सभी को।
15- अज़ान तथा इक़ामत के बीच की जाने वाली दुआ रद्द नहीं होती।
16- ऐ अल्लाह! मेरे लिए मेरे धर्म को सुधार दे, जो मेरे मामले का संरक्षण है
18- ऐ अल्लाह! मैं तुझसे दुनिया एवं आख़िरत में सुरक्षा माँगता हूँ।
21- ऐ अल्लाह! मैं तेरी शरण माँगता हूँ क़र्ज़ के बोझ तथा शत्रुओं के हावी होने और दुश्मनों के हँसने से।
24- लानत करने वाले क़यामत के दिन न तो सिफारिश करने वाले होंगे न ही गवाही देने वाले।
28- “सय्यदुल इस्तिग़फार (सर्वश्रेष्ठ क्षमायाचना)
44- तीन प्रकार के लोगों से अल्लाह क़यामत के दिन न बात करेगा, न उन्हें पवित्र करेगा और न उनकी ओर देखेगा।
46- अल्लाह के निकट सबसे घटिया और तुच्छ व्यक्ति वह है, जो शहंशाह कहलवाए। वास्तविक बादशाह तो बस अल्लाह है।
47- क़सम सामान को मार्केट में चलाने का माध्यम तो है, लेकिन कमाई की बरकत ख़त्म कर देती है।
48- क्या तुम जानते हो कि झूठ तथा मिथ्यारोपन क्या है? यह लोगों के बीच लगाई-बुझाई की बातें करते फिरना है।
55- उसकी नाक मिट्टी से भर जाए, जिसके पास मेरा नाम लिया गया और उसने मुझपर दरूद नहीं भेजा।
71- क्या तुम जानते हो कि निर्धन कौन है?
74- जो व्यक्ति मेरे हवाले से कोई बात बताए और उसे लगता हो कि वह झूठ है, तो वह झूठों में से एक है।
93- एक मर्द दूसरे मर्द के गुप्तांग और एक महिला दूसरी महिला के गुप्तांग को न देखे