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कहो : ऐ अल्लाह! मेरा मार्गदर्शन कर और मुझे सही रास्ते पर चला। "الْهُدَى" शब्द ज़बान पर लाते समय अपने रास्ता पा लेने को…
कहो : ऐ अल्लाह! मेरा मार्गदर्शन कर और मुझे सही रास्ते पर चला। "الْهُدَى" शब्द ज़बान पर लाते समय अपने रास्ता पा लेने को याद कर लिया करो और "السَّدَاد" शब्द ज़बान पर लाते समय तीर को सीधे निशाने पर लगाने को याद कर लिया करो।
अली रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "कहो : ऐ अल्लाह! मेरा मार्गदर्शन कर और मुझे सही रास्ते पर चला। "الْهُدَى" शब्द ज़बान पर लाते समय अपने रास्ता पा लेने को याद कर लिया करो और "السَّدَاد" शब्द ज़बान पर लाते समय तीर को सीधे निशाने पर लगाने को याद कर लिया करो।"
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अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैैहि व सल्लम ने अपने साथियों को इन शब्दों में दुआ करना सिखाया : ऐ अल्लाह! मेरा मार्गदर्शन करे और मुझे तमाम कामों में सीधे मार्ग पर चलने का सुयोग प्रदान कर। इस दुआ में आए हुए "الهُدَى" शब्द का अर्थ है, सत्य को संक्षिप्त एवं विस्तृत रूप से जानना और अंदर तथा बाहर से उसका अनुसरण करने का सुयोग पाना। जबकि "السّداد" शब्द का अर्थ है, कथन, कार्य एवं अक़ीदे में सीधे मार्ग पर चलना। चूँकि ग़ैर-महसूस बातें महसूस उदाहरणों से स्पष्ट होती हैं, इसलिए यह दुआ करते समय तुम्हारे दिल यह बात होनी चाहिए कि तुम यात्रा में निकले हुए उस व्यक्ति के मार्गदर्शन की तरह मार्गदर्शन माँग रहे हो, जो भटकाव से बचने और गंतव्य तक जल्दी सुरक्षित पहुँचने के लिए ज़रा भी दाएँ-बाएँ नहीं होता। इसी तरह तुम तीर चलाते समय इस बात का ध्यान रखते हो कि वह तेज़ी से सही निशाने पर जा लगे। जब कोई व्यक्ति किसी चीज़ को निशाना बनाकर तीर चलाता है, तो तीर को बिलकुल सीधा रखता है। बिलकुल ऐसे ही, तुम भी अल्लाह से कह रहे हो कि वह तुम को तीर की तरह सीधा रखे। इस तरह, तुम्हारी दुआ में मार्गदर्शन के साथ-साथ सीधे रास्ते पर चलने की तलब दोनों बातें आ गईं। अतः अल्लाह से सीधे रास्ते पर चलाने की दुआ माँगते समय तुम अपने दिल में इस बात को रखो, ताकि सीधे रास्ते पर चलते समय सही निशाने की ओर चलने वाले तीर की अमली तस्वीर बन सको।فوائد الحديث
दुआ करने वाले को इस बात का प्रयास करना चाहिए कि उसका अमल सुन्नत के अनुकरण एवं नीयत की विशुद्धता के साँचे में ढला हुआ हो।
इन सार गर्भित शब्दों द्वारा सुयोग एवं सही मार्ग पर चलने की दुआ करना मुसतहब है।
बंदे को अपने तमाम कामों में अल्लाह से मदद माँगनी चाहिए।
शिक्षा देते समय बात स्पष्ट करने के लिए उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए।
मार्गदर्शन, बेहतर हालत, सच्चे मार्ग पर चलते रहने, एक क्षण के लिए उससे न भटकने और अच्छे अंत की दुआ। क्योंकि जहाँ "اهدني" सच्चे मार्ग पर चलने की दुआ माँगी गई है, वहीं "سددني" में प्राप्त सच्चे मार्ग से न भटकने की दुआ माँगी गई है।
प्रार्थना करने वाले को पूरे ध्यान से तथा अपने हृदय में प्रार्थना का अर्थ सोचकर प्रार्थना करनी चाहिए। इससे प्रार्थना स्वीकार होने की संभावना बढ़ जाती है।
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मासूर दुआएँ