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जो किसी दूसरे की पत्नी अथवा दासी को धोका दे अथवा बिगाड़े, वह हममें से नहीं है
जो किसी दूसरे की पत्नी अथवा दासी को धोका दे अथवा बिगाड़े, वह हममें से नहीं है
अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अनहु) से मरफ़ूअन रिवायत है: जो किसी दूसरे की पत्नी या दासी को धोका दे या बिगाड़े, वह हममें से नहीं है।
[सह़ीह़] [इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है।]
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जो पुरुष अथवा स्त्री किसी की पत्नी को उसके खिलाफ़ भड़काए और इस काम के लिए उसके सामने उसके पति की बुराइयाँ और कुव्यवहार का बखान कुछ इस तरह करे कि वह अपने पति से घृणा करने लगे, उसकी अवज्ञा करने लगे और खुला एवं तलाक लेकर उससे अलग होने का प्रयास करने लगे, या फिर किसी के दास को उसके मालिक के खिलाफ़ इस तरह भड़का दे और उसके साथ कुछ ऐसे कार्य करे कि वह उसके विरुद्ध विद्रोह कर बैठे और उसके साथ बुरा व्यवहार करने लगे, इस हदीस में उसके बारे में यह बड़ी चेतावनी दी गई है, जो इस बात का प्रमाण है कि यह महा पाप है और धमकी तथा चेतावनी के योग्य है।