फ़ज़ीलतें तथा आदाब

फ़ज़ीलतें तथा आदाब

47- “अल्लाह के निकट सबसे प्रिय वाक्य चार हैं : सुबहान अल्लाह (अल्लाह पाक है), अल-हम्दु लिल्लाह (समस्त प्रकार की प्रशंसा अल्लाह ही के लिए हैं), ला इलाहा इल्लल्लाह (अल्लाह के अतिरिक्त कोई सच्चा पूज्य नहीं है) और अल्लाहु अकबर (अल्लाह सबसे बड़ा है)। इनमें से जिस से चाहो आरंभ करो, हानि की कोई बात नहीं है ”

56- “जिसने दस बार 'ला इलाहा इल्लल्लाहु वह़दहु ला शरीका लहु, लहुल-मुल्कु व लहुल-हम्दु, व हुवा अला कुल्लि शैइन क़दीर' (अर्थात, अल्लाह के सिवा कोई वास्तविक पूज्य नहीं, वह अकेला है, उसका कोई साझी नहीं है, पूरा राज्य उसी का है और सब प्रशंसा उसी की है और उसके पास हर चीज़ का सामर्थ्य है।) कहा