ऐ अब्बास, ऐ अल्लाह के रसूल के चचा, अल्लाह से दुनिया एवं आख़िरत में आफ़ियत (सलामती) माँगो।

ऐ अब्बास, ऐ अल्लाह के रसूल के चचा, अल्लाह से दुनिया एवं आख़िरत में आफ़ियत (सलामती) माँगो।

अबुल फ़ज़्ल अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब- रज़ियल्लाहु अन्हु- का वर्णन है कि उन्होंने कहाः ऐ अल्लाह के रसूल, मुझे कोई ऐसी वस्तु सिखाइए, जो मैं अल्लाह (तआला) से माँगूँ। आपने फ़रमायाः "अल्लाह से आफ़ियत (सलामती) माँगो।" जब कुछ दिन बीत गए, तो फिर मैं पहुँचा और कहाः ऐ अल्लाह के रसूल, कोई ऐसी वस्तु सिखाइए, जो मैं अल्लाह से माँगूँ। तो फ़रमायाः "ऐ अब्बास, ऐ अल्लाह के रसूल के चचा, अल्लाह से दुनिया एवं आख़िरत में आफ़ियत (सलामती) माँगो।"

[सह़ीह़ लि-ग़ैरिही (अन्य सनदों अथवा रिवायतों से मिलकर सह़ीह़)] [इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]

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मासूर दुआएँ