मरे हुए लोगों को बुरा-भला न कहो, क्योंकि वे उसकी ओर जा चुके हैं, जो कर्म उन्होंने आगे भेजे हैं।

मरे हुए लोगों को बुरा-भला न कहो, क्योंकि वे उसकी ओर जा चुके हैं, जो कर्म उन्होंने आगे भेजे हैं।

आइशा रज़ियल्लाहु अनहा का वर्णन है, उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "मरे हुए लोगों को बुरा-भला न कहो, क्योंकि वे उसकी ओर जा चुके हैं, जो कर्म उन्होंने आगे भेजे हैं।"

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।]

الشرح

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि मरे हुए लोगों को गाली देना और उनके मान-सम्मान के साथ खेलना हराम है और यह अशिष्टता एवं असभ्यता है। क्योंकि वह अपने आगे भेजे हुए अच्छे या बुरे कर्मों तक पहुंच चुके हैं। दूसरी बात यह है कि यह गाली उनको तो पहुँचने से रही। इससे केवल जीवित लोगों को कष्ट होगा।

فوائد الحديث

यह हदीस मरे हुए लोगों को गाली देने के हराम होने की दलील है।

मरे हुए लोगों को गाली देने से बचना जीवित लोगों को कष्ट से बचाने और समाज को आपसी दुश्मनी एवं द्वेष से सुरक्षित रखने के लिए करना चाहिए।

मरे हुए लोगों को गाली देने की मनाही की हिकमत यह है कि मरे हुए लोग तो अपने आगे भेजे हुए कर्मों तक पहुँच चुके हैं और उनको गाली देने का कोई फ़ायदा नहीं होता, जबकि इससे उनके जीवित रिश्तेदारों को कष्ट होता है।

इन्सान को ऐसी कोई बात नहीं करनी चाहिए, जो भलाई या हित से खाली हो।

التصنيفات

फ़ज़ीलतें तथा आदाब, मृत्यु तथा उससे संबंधित अहकाम