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सुबहानल्लाह, अल-हम्दु लिल्लाह, ला इलाहा इल्लल्लाह और अल्लाहु अकबर कहना, मेरे निकट उन सारी चाज़ों की तुलना में अधिक…
सुबहानल्लाह, अल-हम्दु लिल्लाह, ला इलाहा इल्लल्लाह और अल्लाहु अकबर कहना, मेरे निकट उन सारी चाज़ों की तुलना में अधिक उत्तम है, जिनपर सूरज निकलता है।
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु से वर्णित है, उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "सुबहानल्लाह, अल-हम्दु लिल्लाह, ला इलाहा इल्लल्लाह और अल्लाहु अकबर कहना, मेरे निकट उन सारी चाज़ों की तुलना में अधिक उत्तम है, जिनपर सूरज निकलता है।"
[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि इन महत्वपूर्ण शब्दों द्वारा अल्लाह का ज़िक्र करना दुनिया और उसकी सारी चीज़ों से बेहतर है। ये शब्द इस प्रकार हैं : "सुबहानल्लाह" : इन शब्दों द्वारा तमाम कमियों से अल्लाह की पाकी बयान की जाती है। "अल-हम्दु लिल्लाह" : अल्लाह की यह प्रशंसा कि वह अपने सारे गुणों में संपूर्ण है। साथ में उससे मोहब्बत तथा उसका सम्मान भी हो। "ला इलाहा इल्लल्लाह" : अल्लाह के सिवा कोई सच्चा पूज्य नहीं है। "अल्लाहु अकबर" : अल्लाह हर चीज़ से बड़ा तथा शक्तिशाली है।فوائد الحديث
अल्लाह के ज़िक्र की प्रेरणा और इस बात का उल्लेख कि अल्लाह का ज़िक्र उन सभी चीज़ों से प्रिय है, जिनपर सूरज निकलता है।
अधिक से अधिक ज़िक्र करने की प्रेरणा, क्योंकि इसका बहुत बड़ा प्रतिफल है।
दुनिया के आनंद की चीज़ें थोड़ी हैं और सब ख़त्म हो जाएँगी।
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साधारण अज़कार