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जिसने अपने भाई को एक साल तक छोड़े रखा, मानो उसने उसका ख़ून बहाया
जिसने अपने भाई को एक साल तक छोड़े रखा, मानो उसने उसका ख़ून बहाया
अबू ख़िराश हदरद बिन अबू हदरद असलमी (रज़ियल्लाहु अनहु) से मरफ़ूअन रिवायत है: जिसने अपने भाई को एक साल तक छोड़े रखा, मानो उसने उसका ख़ून बहाया।
[सह़ीह़] [इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]
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जिसने अपने भाई से बिना किसी शरई कारण के संबंध तोड़ लिया और इस सिलसिले को एक वर्ष तक जारी रखा, वह उसी प्रकार दंड का हक़दार बन जाता है, जिस प्रकार उसकी हत्या कर देने से दंड का हक़दार बनता है। यह दंड क्या हो, इसका निर्णय क़ाज़ी यानी शरई न्यायाधीश अपने अवलोकन के आधार पर करेगा। दंड का उद्देश्य उसे इस अपराध से रोकना और अन्य लोगों को सचेत करना है। लेकिन यदि किसी ने किसी शरई उद्देश्य के कारण संबंध तोड़ा, तो बिदअतियों एवं अवज्ञाकारियों से उस समय तक संबंध तोड़कर रखना चाहिए, जब तक तौबा न कर लें एवं सत्य की ओर लौट न आएँ, चाहे यह सिलसिला जितना भी लंबा हो।