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उन लोगों के समीप अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से अधिक प्रिय कोई भी नहीं था, (इसके बावजूद) वह लोग आप को देख…
उन लोगों के समीप अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से अधिक प्रिय कोई भी नहीं था, (इसके बावजूद) वह लोग आप को देख कर खड़े नहीं होते थे क्योंकि वह जानते थे कि अल्लाह के रसूल (- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम-) इस से घृणा करते हैं।
अनस- रज़ियल्लाहु अन्हु- से वर्णित है वह कहते हैं कि उन लोगों (सहाबा) के समीप अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से अधिक प्रिय कोई भी नहीं था, (इसके बावजूद) वह लोग आप को देख कर खड़े नहीं होते थे क्योंकि वह जानते थे कि अल्लाह के रसूल (-सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम-) इस से घृणा करते हैं।
[सह़ीह़] [इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है।]
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इस हदीस में अनस -रज़ियल्लाहु अनहु- बता रहे हैं कि सहाबा के निकट अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से प्रिय कोई नहीं था। लेकिन इस अत्याधिक प्रेम के बावजूद जब वे अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- को आते हुए देखते तो आपके स्वागत में खड़े नहीं होते थे। क्योंकि उन्हें पता था कि अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- अपने लिए किसी के खड़े होने को अप्रिय जानते हैं।