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अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब मस्जिद में प्रवेश करते, तो फ़रमाया करते :«أعوذ بالله العظيم، وبوجهه الكريم، وسلطانه…
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब मस्जिद में प्रवेश करते, तो फ़रमाया करते :«أعوذ بالله العظيم، وبوجهه الكريم، وسلطانه القديم، من الشيطان الرَّجِيم» (मैं महान अल्लाह की, उसके सम्मानित चेहरे की और उसकी सनातन सत्ता की शरण माँगता हूँ, धिक्कारे हुए शैतान से।)
अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस रज़ियल्लाहु अनहुमा से रिवायत है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब मस्जिद में प्रवेश करते, तो फ़रमाया करते :«أعوذ بالله العظيم، وبوجهه الكريم، وسلطانه القديم، من الشيطان الرَّجِيم» (मैं महान अल्लाह की, उसके सम्मानित चेहरे की और उसकी सनातन सत्ता की शरण माँगता हूँ, धिक्कारे हुए शैतान से।) पूछा गया : बस इतना ही ? मैंने कहा : हाँ। आपने फ़रमाया : जब (मस्जिद में प्रवेश करने वाला) व्यक्ति यह दुआ पढ़ता है तो शैतान कहता है : आज यह सारा दिन मुझसे सुक्षित हो गया।
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अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब मस्जिद में प्रवेश करते, तो कहते : (أعوذ بالله العظيم) मैं अल्लाह और उसकी विशेषताओं की शरण में आता हूँ। (وبوجهه الكريم) तथा उसके दाता चेहरे की शरण में आता हूँ। (من الشيطان الرجيم) अल्लाह की दया से दूर कर दिए गए शैतान से। अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ियल्लाहु अनहुमा से पूछा गया : क्या अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बस इतना ही कहा है? उत्तर दिया : हाँ। जब मस्जिद में प्रवेश करने वाला व्यक्ति यह दुआ पढ़ लेता है, तो शैतान कहता है , तो शैतान कता है : इस प्रवेश करने वाले ने स्वयं को मुझसे दिनभर और रातभर के लिए सुरक्षित कर लिया।فوائد الحديث
मस्जिद में प्रवेश करते समय इस ज़िक्र को पढ़ने की फ़ज़ीलत। इस दुआ को पढ़ लेने के बाद इन्सान दिनभर के लिए शैतान से सुरक्षित हो जाता है।
इस हदीस में इन्सान को शैतान से सचेत किया गया है और बताया गया है कि शैतान मुसलमान को सीधे रास्ते से भटकाने के लिए घात लगाकर बैठा रहता है।
इन्सान को शैतान के पथभ्रष्ट करने के प्रयासों से उसी परिमान में सुरक्षा मिलती है, जितना उसके दिल में अल्लाह पर विश्वास, इस दुआ को पढ़ते समय तन्मयता और इसके बदले में अल्लाह की ओर से किए गए वादे पर विश्वास होता है।