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अल्लाह तआला फ़रमाता हैः मैं अपने बंदे के साथ होता हूँ, जब वह मेरा स्मरण करता है तथा मुझे याद करने के लिए अपने होंठों…
अल्लाह तआला फ़रमाता हैः मैं अपने बंदे के साथ होता हूँ, जब वह मेरा स्मरण करता है तथा मुझे याद करने के लिए अपने होंठों को हरकत देता है।
अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः “अल्लाह तआला फ़रमाता हैः मैं अपने बंदे के साथ होता हूँ जब वह मेरा स्मरण करता है तथा मुझे याद करने के लिए अपने होंठों को हरकत देता है।”
[सह़ीह़ लि-ग़ैरिही (अन्य सनदों अथवा रिवायतों से मिलकर सह़ीह़)] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे बुख़ारी ने तालीक़न यक़ीन के सेग़े के साथ रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]
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यह हदीस इस बात का प्रमाण है कि जो अल्लाह का ज़िक्र करता है, अल्लाह उससे निकट होता है और हर काम में उसके साथ होता है। वह उसे सुयोग प्रदान करता है, उसका मार्गदर्शन करता है, उसकी सहायता करता है और उसकी पुकार सुनता है। इस हदीस में जो बात कही गई है, वही बात एक अन्य हदीस में भी आई है। सहीह बुख़ारी में है कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : "मैं अपने बंदे की उस धारणा के निकट होता हूँ, जो वह मेरे बारे में रखता है तथा जब वह मुझे याद करता है तो मैं उसके साथ होता हूँ। यदि वह मुझे अपने दिल में याद करता है तो मैं उसे अपने दिल में याद करता हूँ और अगर वह मुझे किसी समूह में याद करता है तो मैं उसे उससे बेहतर समूह में याद करता हूँ।"التصنيفات
ज़िक्र की फ़ज़ीलतें