अज़ान तथा इक़ामत के बीच की जाने वाली दुआ रद्द नहीं होती।

अज़ान तथा इक़ामत के बीच की जाने वाली दुआ रद्द नहीं होती।

अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "अज़ान तथा इक़ामत के बीच की जाने वाली दुआ रद्द नहीं होती।"

[सह़ीह़] [رواه أبو داود والترمذي والنسائي]

الشرح

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अज़ान और इक़ामत के बीच की जाने वाली दुआ की फ़ज़ीलत बयान की है और बताया है कि इस समय की जाने वाली दुआ इस लायक़ है कि क़बूल हो जाए। अतः इस समय अल्लाह से दुआ किया करो।

فوائد الحديث

इस समय दुआ करने की फ़ज़ीलत।

दुआ करने वाला जब दुआ के आदाब का पालन करे, दुआ क़बूल होने के स्थानों एवं समयों का लिहाज़ करते हुए दुआ करे, अल्लाह की अवज्ञा से दूर रहे, संदेह में डालने वाली जगहों में क़दम रखने से बचे और अल्लाह के प्रति अच्छा गुमान रखे, तो यदि ईश्वर की इच्छा हो तो उसकी दुआ क़बूल कर लिए जाने के लाएक़ होती है।

मुनावी दुआ क़बूल होने के बारे में कहते हैं : दुआ उस समय क़बूल होती है, जब उसकी शर्तों, स्तंभों और आदाब का ख़्याल रखा जाए। अगर इनमें से किसी चीज़ का ख़्याल नहीं रखा गया, तो इन्सान ख़ुद अपने आपको कोसे।

दुआ क़बूल होने का मतलब यह है कि या तो इन्सान को उसकी माँगी हुई चीज़ दे दी जाए या उससे उसके समान बुराई दूर कर दी जाए या फिर उसे उसकी आख़िरत के लिए जमा करके रख दिया जाए। यह सब कुछ अल्लाह की हिकमत और उसकी कृपा के अनुसार होता है।

التصنيفات

दुआ ग्रहण होने में सहायक चीज़ें तथा उसे ग्रहण न होने देने वाली वस्तुएँ