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अल्लाह की क़सम! हम यह कार्य किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं सौंपते, जो माँगकर लेना चाहे अथवा किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं…
अल्लाह की क़सम! हम यह कार्य किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं सौंपते, जो माँगकर लेना चाहे अथवा किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं सौंपते, जो उसकी लालसा रखे।
अबू मूसा अशअरी -रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि मैं और मेरे चचा के बेटों में से दो व्यक्ति अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास पहुँचे। उनमें से एक ने कहाः ऐ अल्लाह के रसूल! अल्लाह ने आपको जो कुछ सौंपा है, उसके कुछ भाग का हमें शासक बना दीजिए। दूसरे ने भी कुछ इसी तरह की बात की। अतः, आपने फ़रमायाः अल्लाह की क़सम! हम यह कार्य किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं सौंपते, जो माँगकर लेना चाहे अथवा किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं सौंपते, जो उसकी लालसा रखे।
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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इमाम (शासनाध्यक्ष) के उत्तरदायित्व