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अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब दस्तरख़्वान उठाते तो कहतेः "الحَمْدُ للهِ حَمْدًا كَثِيرًا طَيِّبًا مُبَارَكًا فِيهِ،…
अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब दस्तरख़्वान उठाते तो कहतेः "الحَمْدُ للهِ حَمْدًا كَثِيرًا طَيِّبًا مُبَارَكًا فِيهِ، غَيْرَ مَكْفِيٍّ، وَلَا مُوَدَّعٍ، وَلَا مُسْتَغْنًى عَنْهُ رَبَّنَا"। अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब दस्तरख़्वान उठाते तो कहतेः "الحَمْدُ للهِ حَمْدًا كَثِيرًا طَيِّبًا مُبَارَكًا فِيهِ، غَيْرَ مَكْفِيٍّ، وَلَا مُوَدَّعٍ، وَلَا مُسْتَغْنًى عَنْهُ رَبَّنَا"।
अबू उमामा- रज़ियल्लाहु अन्हु- का वर्णन है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब दस्तरख़्वान उठाते तो कहतेः "الحَمْدُ للهِ حَمْدًا كَثِيرًا طَيِّبًا مُبَارَكًا فِيهِ، غَيْرَ مَكْفِيٍّ، وَلَا مُوَدَّعٍ، وَلَا مُسْتَغْنًى عَنْهُ رَبَّنَا" (अर्थात, सारी प्रशंसाएँ अल्लाह की हैं, बहुत ज़्यादा, स्वच्छ और बरकत वाली प्रशंसा, वह सबके लिए काफ़ी है, उसे छोड़ा नहीं जा सकता, और ना ही कोई तेरी प्रशंसा से निस्पृह हो सकता है)।
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।]
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मुसीबत के समय के अज़कार