मुसीबत के समय के अज़कार

मुसीबत के समय के अज़कार

9- फ़ातिमा रज़यल्लाहु अनहा अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास चक्की पीसने के कारण हाथ में पड़े हुए छालों को दिखाने के लिए आईं। दरअसल उन्हें सूचना मिली थी कि आपके पास कुछ गुलाम आए हुए हैं। आपसे मुलाक़ात नहीं हो सकी, तो आइशा रज़ियललाहु अनहा के सामने अपनी बात रख गईं। अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आए, तो आइशा रज़ियल्लाहु अनहा ने इसका ज़िक्र आपके समाने कर दिया। अली रज़ियल्लाहु अनहु आगे कहते हैं : यह सुन अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हमारे पास आए। उस समय हम दोनों बिस्तर पर जा चुके थे। आपको देख हम खड़े होने लगे, तो फ़रमाया : "दोनों अपनी-अपनी जगह रहो।" फिर आप आग बढ़े और हम दोनों के बीच बैठ गए। यहाँ तक कि मैंने आपके दोनों क़दमों की ठंडक अपने पेट में महसूस की। इसके बाद फ़रमाया : "@क्या मैं तुम दोनों को उससे बेहतर चीज़ न बताऊँ, जो तुमने माँगा है? जब तुम अपने बिस्तर में जाओ (अथवा सोने का स्थान ग्रहण करो) तो तैंतीस बार 'सुबहानल्लाह' कहो, तैंतीस बार 'अल-हमदु लिल्लाह' कहो और चौंतीस बार 'अल्लाहु अकबर' कहो। यह तुम दोनों के लिए सेवक से बेहतर है।"

12- वह अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आए और कहने लगे : ऐ अल्लाह के रसूल! शैतान मेरे, मेरी नमाज़ तथा मेरी तिलावत के बीच रुकावट बनकर खड़ा हो जाता है। मुझे उलझाने के प्रयास करता है। यह सुन अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "@यह एक शैतान है, जिसे ख़िंज़िब कहा जाता है। जब तुम्हें उसके व्यवधान डालने का आभास हो, तो उससे अल्लाह की शरण माँगो और तीन बार अपने बाएँ ओर थुत्कारो*।" उनका कहना है कि मैंने इसपर अमल करना शुरू किया, तो अल्लाह ने मेरी इस परेशानी को दूर कर दिया।