कंजूस वह व्यक्ति है, जिसके सामने मेरा नाम लिया जाए और वह मुझपर दरूद न भेजे।

कंजूस वह व्यक्ति है, जिसके सामने मेरा नाम लिया जाए और वह मुझपर दरूद न भेजे।

हुसैन बिन अली बिन अबू तालिब रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है : "कंजूस वह व्यक्ति है, जिसके सामने मेरा नाम लिया जाए और वह मुझपर दरूद न भेजे।"

[सह़ीह़]

الشرح

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस बात से सावधान किया है कि किसी के नाम, कुनयत या ज़िक्र आए और वह आपपर दरूद न भेजे। आपने कहा : वह व्यक्ति पूर्ण रूप से कंजूस है, जिसके सामने मेरा ज़िक्र हो और वह मुझपर दरूद न भेजे। इसके कई कारण हैं : 1- उसने एक ऐसी चीज़ खर्च करने में कंजूसी दिखाई, जिसमें ज़रा भी घाटा नहीं है। उसमें न माल खर्च होता है और न मेहनत लगती है। 2- उसने खुद को अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर दरूद भेजने के प्रतिफल में वंचित कर लिया। उसने आपपर दरूद भेजने से गुरेज़ करके एक ऐसे हक़ की अदायगी में कंजूसी दिखाई, जो इस संबंध में आए हुए आदेश के अनुपालन और प्रतिफल की प्राप्ति के लिए उसे अदा करना था।

فوائد الحديث

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर दरूद न भेजना कंजूसी की निशानी है।

नववी कहते हैं : अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर दरूद भेजते समय दरूद व सलाम दोनों भेजे। किसी एक पर बस न करे। न केवल (صلى الله عليه) कहे और न केवल (عليه السلام) कहे।

التصنيفات

मुसीबत के समय के अज़कार