जब किसी बीमारी आदि के कारण, अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की रात की नमाज़ छूट जाती तो दिन में बारह रकअत…

जब किसी बीमारी आदि के कारण, अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की रात की नमाज़ छूट जाती तो दिन में बारह रकअत पढ़ लेते थे।

आइशा- रज़ियल्लाहु अन्हा- कहती हैं कि जब किसी बीमारी आदि के कारण, अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की रात की नमाज़ छूट जाती तो दिन में बारह रकअत पढ़ लेते थे।

[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

الشرح

अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की आदत यह थी जब किसी बीमारी आदि के कारण आपकी रात की नमाज़ छूट जाती, तो दिन में बारह रकात पढ़ लेते। दरअसल बात यह है कि आप रात में ग्यारह रकात नमाज़ पढ़ा करते थे। लेकिन जब रात गुज़र जाती और नींद या इस तरह के किसी और कारण से रात की माज़ पढ़ नहीं पाते, तो उसकी क़ज़ा करते थे। लेकिन जब वित्र का समय गुज़र गया, तो उसे जोड़ा पढ़ना विधिसम्मत हो गया।

التصنيفات

नफ़ल नमाज़, आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा