तुममें से जिसे मैं किसी प्रशासनिक काम की ज़िम्मेवारी दूँ, फिर उसने हमसे एक सूई या उससे भी छोटी चीज़ छिपाई, तो वह…

तुममें से जिसे मैं किसी प्रशासनिक काम की ज़िम्मेवारी दूँ, फिर उसने हमसे एक सूई या उससे भी छोटी चीज़ छिपाई, तो वह ख़यानत में शुमार होगा, जिसे लेकर वह क़यामत के दिन उपस्थित होगा।

अदी बिन उमैर किंदी (रज़ियल्लाहु अंहु) नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से रिवायत करते हुए कहते हैंः "तुममें से जिसे मैं किसी प्रशासनिक काम की ज़िम्मेवारी दूँ, फिर उसने हमसे एक सूई या उससे भी छोटी चीज़ छिपाई, तो वह ख़यानत में शुमार होगा, जिसे लेकर वह क़यामत के दिन उपस्थित होगा।" यह सुन एक काला-कलौटा अंसारी आदमी आपके पास आया। ऐसा लग रहा है कि मैं उसे आज भी देख रहा हूँ। वह कहने लगाः ऐ अल्लाह के रसूल, आपने जो काम मुझे दिया था, उसे मुझसे वापस ले लें। आपने कहाः "ऐसा क्यों?" उसने कहाः मैंने आपको इस इस तरह की बात कहते सुना है। फ़रमायाः "वही बात मैं अब भी कह रहा हूँ; जिसे मैं किसी प्रशासनिक काम का ज़िम्मेवार बनाऊँ, तो वह कम तथा ज़्यादा सब कुछ लाकर रख दे। फिर उसमें से जो कुछ उसे दिया जाए, उसे ले ले और जिससे मना किया जाए, उससे दूर रहे।"

[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

الشرح

जिसे हम ज़कात अथवा ग़नीमत का धन अदा करने या इस प्रकार की कोई ज़िम्मेवारी दें और वह एक सूई या उससे भी कोई छोटी चीज़ छुपा ले, तो यह अमानत में ख़यानत है, और वह क़यामत के दिन उसे लेकर उपस्थित होगा। यह सुन एक अंसारी व्यक्ति खड़ा हुआ और आपसे आपकी ओर से सोंपी हुई ज़िम्मेवारी से खुद को अलग कर लेने की अनुमति माँगी, तो आपने उससे पूछा कि तुम ऐसा क्यों करना चाहते हो? जब उसने कहा कि इसका कारण वह चेतावनी है, जो मैंने आपको देते हुए सुना है, तो आपने फ़रमाया : मैं अब भी वही कहता हूँ; हम जिसे कोई ज़िम्मेवारी दें, वह थोड़ा हो कि ज़्यादा, सब कुछ लाकर सामने रख दे। फिर पारिश्रमिक के तौर पर उसे जितना दिया जाए, उसे ले ले और जिसे लेने से मना किया जाए और जिसका वह अधिकार न रखता हो, उसे न ले।

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जनता पर इमाम (शासनाध्यक्ष) का अधिकार