जो किसी मोमिन को जान-बूझकर क़त्ल करेगा, उसे मृतक के घर वालों के हवाले किया जाएगा। वह चाहें तो उसे क़त्ल कर दें और…

जो किसी मोमिन को जान-बूझकर क़त्ल करेगा, उसे मृतक के घर वालों के हवाले किया जाएगा। वह चाहें तो उसे क़त्ल कर दें और चाहें तो उससे दियत लें, जो इस प्रकार है : 30 ऐसी ऊँटनियाँ जो तीन साल पूरे करके चौथे साल में प्रवेश कर चुकी हों, 30 ऐसी ऊँटनियाँ जो चार साल पूरे करके पाँचवें साल में प्रवेश कर चुकी हों और 40 गाभिन ऊँटनियाँ। साथ ही दोनों पक्ष के लोग जिसपर सुलह कर लें, वह मृतक के परिजनों के लिए है।

अम्र बिन शुऐब से वर्णित है, वह अपने पिता से वर्णन करते हैं, तथा वह अपने दादा से रिवायत करते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : “जो किसी मोमिन को जान-बूझकर क़त्ल करेगा, उसे मृतक के घर वालों के हवाले किया जाएगा। वह चाहें तो उसे क़त्ल कर दें और चाहें तो उससे दियत लें, जो इस प्रकार है : 30 ऐसी ऊँटनियाँ जो तीन साल पूरे करके चौथे साल में प्रवेश कर चुकी हों, 30 ऐसी ऊँटनियाँ जो चार साल पूरे करके पाँचवें साल में प्रवेश कर चुकी हों और 40 गाभिन ऊँटनियाँ। साथ ही दोनों पक्ष के लोग जिसपर सुलह कर लें, वह मृतक के परिजनों के लिए है। यह दियत का सबसे सख़्त प्रकार है।”

[ह़सन] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]

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क़िसास, दियत