जब कोई मुस्लिम प्रातः किसी बीमार मुस्लिम की इयादत (कुशल- मंगल लेना) करता है, तो सत्तर हज़ार फ़रिश्ते उस के लिए रहमत…

जब कोई मुस्लिम प्रातः किसी बीमार मुस्लिम की इयादत (कुशल- मंगल लेना) करता है, तो सत्तर हज़ार फ़रिश्ते उस के लिए रहमत की प्रार्थना करते हैं

अली (रज़ियल्लाहु अनहु) कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को फ़रमाते हुए सुनाः जब कोई मुस्लिम प्रातः किसी मुस्लिम व्यक्ति की इयादत (बीमारपुरसी) करता है, तो सत्तर हज़ार फ़रिश्ते शाम तक उस के लिए रहमत की प्रार्थना करते हैं। इसी प्रकार, जब कोई शाम को इयादत करता है, तो प्रातः तक फ़रिश्ते उसके लिए रहमत की दुआ करते रहते हैं तथा ऐसे व्यक्ति के लिए जन्नत में चुना हुआ फल है (अर्थात वह जन्नती है)।

[सह़ीह़] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है ।]

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सुकर्मों की फ़ज़ीलतें, बीमार का हाल जानने जाने के आदाब