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जो अल्लाह तथा आख़िरत के दिन पर ईमान रखता हो, वह मुसलमानों के फ़य (मुश्रिकों से बिना युद्ध किए प्राप्त होने वाला धन)…
जो अल्लाह तथा आख़िरत के दिन पर ईमान रखता हो, वह मुसलमानों के फ़य (मुश्रिकों से बिना युद्ध किए प्राप्त होने वाला धन) के जानवर पर इस तरह सवार न हो कि जब उसे कमज़ोर कर दे, तो उसे फ़य में लौटा दे और जो अल्लाह तथा आख़िरत के दिन पर ईमान रखता हो, वह मुसलमानों के फ़य के किसी कपड़े को इस तरह न पहने कि जब उसे पुराना कर दे, तो वापस कर दे।
रुवैफ़े बिन साबित अंसारी का वर्णन है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "जो अल्लाह तथा आख़िरत के दिन पर ईमान रखता हो, वह मुसलमानों के फ़य (मुश्रिकों से बिना युद्ध के प्राप्त होने वाला धन) के जानवर पर इस तरह सवार न हो कि जब उसे कमज़ोर कर दे, तो उसे फ़य लौटा दे और जो अल्लाह तथा आख़िरत के दिन पर ईमान रखता हो, वह मुसलमानों के फ़य के किसी कपड़े को इस तरह न पहने कि जब उसे पुराना कर दे, तो वापस कर दे।"
[ह़सन] [इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है। - इसे दारिमी ने रिवायत किया है।]
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जिहाद के आदाब