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ऐ अल्लाह! मैंने जो पहले किया और जो बाद में किया, जो छिपाकर किया तथा जो दिखाकर किया और जिसमें मैंने अति की और जिसको तू…
ऐ अल्लाह! मैंने जो पहले किया और जो बाद में किया, जो छिपाकर किया तथा जो दिखाकर किया और जिसमें मैंने अति की और जिसको तू मुझसे भी बेहतर जानने वाला है, उन सभी गुनाहों को माफ़ कर दे। तू ही आदेशपालन का सामर्थ्य देकर आगे करता है और तू ही अवज्ञा के कारण पीछे करता है। तेरे सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं है।
अली बिन अबू तालिब (रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णित है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब नमाज़ के लिए खड़े होते, तो यह दुआ पढ़तेः «وجَّهت وجْهي للذي فَطَر السَّماوات والأرض حَنيفا، وما أنا من المشركين، إن صلاتي، ونُسُكي، ومَحْيَاي، ومَمَاتِي لله ربِّ العالمين، لا شريك له، وبذلك أُمِرت وأنا من المسلمين، اللهُمَّ أنت الملك لا إله إلا أنت أنت ربِّي، وأنا عَبدُك، ظَلمت نفسي، واعترفت بِذنبي، فاغفر لي ذُنوبي جميعا، إنه لا يَغفر الذُّنوب إلا أنت، واهدِنِي لأحْسَن الأخلاق لا يَهدي لأحْسَنِها إلا أنت، واصرف عَنِّي سيِّئها لا يصرف عني سيِّئها إلا أنت، لبَّيك وسَعديك والخير كلُّه في يَديك، والشَرُّ ليس إليك، أنا بِك وإليك، تَبَاركت وتَعاليت، أستغفرك وأتوب إليك» (मैंने एकाग्र होकर अपना मुख उसकी ओर कर लिया है, जिसने आकाशों और धरती की रचना की है, और मैं साझी ठहराने वालों में से नहीं हूँ। मेरी नमाज़, मेरी क़ुरबानी, मेरा जीना और मेरा मरना, सब अल्लाह के लिए है, जो समस्त संसार का रब है। उसका कोई साझी नहीं। मुझे इसी का आदेश दिया गया है और मैं मुसलमानों में से हूँ। ऐ अल्लाह! तू ही बादशाह है। तेरे सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं। तू मेरा रब है और मैं तेरा बंदा। मैंने अपने ऊपर ज़ुल्म किया है और अपने पापों का इक़रार करता हूँ। अतः, मेरे समस्त पापों को क्षमा कर दे, क्योंकि पापों को क्षमा करने वाला तेरे सिवा कोई नहीं। तू मुझे अच्छे आचरण का मार्ग दिखा, क्योंकि अच्छे आचरण का मार्ग केवल तू ही दिखाता है। और बुरे आचरण से मुझे दूर रख, क्योंकि बुरे आचरण से मुझे दूर केवल तू ही रख सकता है। मैं तेरे आगे उपस्थित हूँ, तेरा आज्ञाकारी हूँ तथा समस्त प्रकार की भलाई तेरे ही हाथों में है, और बुराई की निसबत तेरी ओर नहीं की जा सकती। मेरी तौफीक़ तेरी तरफ़ से है और मेरी इल्तिजा भी तुझसे है। तू बरकत वाला तथा बुलंद है। मैं तुझ ही से क्षमा माँगता हूँ तथा तेरे ही सामने तौबा करता हूँ।) और जब रूकू करते, तो कहतेः «اللهُمَّ لك رَكَعت، وبِك آمَنت، ولك أسْلَمت، خَشع لك سَمعي، وبَصري، ومُخِّي، وعَظمي، وعَصَبي» (ऐ अल्लाह! मैंने तेरे ही लिए रुकू किया, मैं तुझपर ईमान लाया और तेरा आज्ञाकारी बना। तेरे लिए मेरे कान, मेरी आँख, मेरे दिमाग, मेरी हड्डी तथा मेरे पुठ्ठे ने विनम्रता दिखाई।) और जब रुकू से सर उठाते, तो कहतेः «اللهُمَّ ربَّنا لك الحَمد مِلْءَ السماوات، و مِلْءَ الأرض، ومِلْءَ ما بينهما، ومِلْءَ ما شئت من شيء بعد» (ऐ अल्लाह! तेरे लिए आकाश भर, धरती भर, और जो कुछ इन दोनों के बीच है, उतनी और उसके पश्चात जितनी तू चाहे, उतनी प्रशंसा है।) और जब सजदा करते, तो कहतेः «اللهُمَّ لك سَجدت، وبك آمَنت، ولك أسْلَمت، سجد وجْهِي للذي خَلَقه، وصَوَّره، وشَقَّ سَمعه وبَصره، تبارك الله أحْسَن الخَالقِين» (ऐ अल्लाह! मैंने तेरे लिए सजदा किया, मैं तुझपर ईमान लाया और तेरा आज्ञाकारी हुआ। मेरे चेहरे ने उसके लिए सजदा किया, जिसने उसकी रचना की है और उसका चित्रण किया है, तथा कान और आँख को चीरा है। अल्लाह तआला बड़ी बरकत वाला है और सभी बनाने वालों से अच्छा बनाने वाला है।) फिर सबसे अंत में तशह्हुद और सलाम फेरने के बीच यह दुआ पढ़तेः «اللهُم اغْفِر لي ما قَدَّمت وما أخَّرت، وما أسْرَرْت وما أعْلَنت، وما أَسْرَفْتُ، وما أنت أعْلَم به مِنِّي، أنت المُقَدِّم وأنت الْمُؤَخِّر، لا إله إلا أنت» (ऐ अल्लाह! मैंने जो पहले किया और जो बाद में किया, जो छिपाकर किया तथा जो दिखाकर किया और जिसमें मैंने अति की और जिसको तू मुझसे भी बेहतर जानने वाला है, उन सभी गुनाहों को माफ़ कर दे। तू ही आदेशपालन का सामर्थ्य देकर आगे करता है और तू ही अवज्ञा के कारण पीछे करता है। तेरे सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं है।)