नमाज़ के अज़कार

नमाज़ के अज़कार

11- जिसने प्रत्येक नमाज़ के पश्चात तैंतीस बार सुब्हानल्लाह, तैंतीस बार अल्ह़म्दुलिल्लाह और तैंतीस बार अल्लाहु अकबर कहा, तो इस प्रकार कुल निन्यानवे हुए, और सौ पूरा करने के लिए ला इलाहा इल्लल्लाहु वहदहु ला शरीका लहु, लहुल्मुल्कु, व लहुल्हम्दु, व हुवा अला कुल्ले शैइन क़दीर, कहा (अल्लाह के सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं, वह अकेला है उस का कोई साझी नहीं, उसी के लिए बादशाहत है, उसी के लिए सब प्रशंसा है और उस को हर चीज़ पर सामर्थ्य प्राप्त है), तो उस के समस्त पाप माफ कर दिए जाते हैं यद्दपि वह समुद्र के झाग के बराबर ही क्यों न हों।