إعدادات العرض
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब रुकू से पीठ उठाते, तो यह दुआ पढ़ते : "سَمِعَ اللهُ لِمَنْ حَمِدَهُ، اللَّهُمَّ رَبَّنَا…
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब रुकू से पीठ उठाते, तो यह दुआ पढ़ते : "سَمِعَ اللهُ لِمَنْ حَمِدَهُ، اللَّهُمَّ رَبَّنَا لَكَ الْحَمْدُ، مِلْءَ السَّمَاوَاتِ وَمِلْءَ الْأَرْضِ وَمِلْءَ مَا شِئْتَ مِنْ شَيْءٍ بَعْدُ" (अल्लाह ने उसकी सुन ली, जिसने उसकी प्रशंसा की
अब्दुल्लाह बिन अबू औफ़ा रज़ियल्लाहु अनहु कहते हैं : अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब रुकू से पीठ उठाते, तो यह दुआ पढ़ते : "سَمِعَ اللهُ لِمَنْ حَمِدَهُ، اللَّهُمَّ رَبَّنَا لَكَ الْحَمْدُ، مِلْءَ السَّمَاوَاتِ وَمِلْءَ الْأَرْضِ وَمِلْءَ مَا شِئْتَ مِنْ شَيْءٍ بَعْدُ" (अल्लाह ने उसकी सुन ली, जिसने उसकी प्रशंसा की। ऐ अल्लाह! हमारे रब! तेरी ही प्रशंसा है आकाशों भर, ज़मीन भर और उनके बाद भी तू जो चाहे, उसके भर।)
الترجمة
العربية English မြန်မာ Svenska Čeština ગુજરાતી Yorùbá Nederlands اردو Bahasa Indonesia ئۇيغۇرچە বাংলা Türkçe සිංහල Tiếng Việt Hausa Kiswahili پښتو অসমীয়া دری Кыргызча Lietuvių Kinyarwanda नेपाली తెలుగు Bosanski ಕನ್ನಡ Kurdî മലയാളം Română Soomaali Shqip Српски Українська Wolof Moore Português Tagalog தமிழ் Azərbaycan فارسی ქართული 中文 Magyar Deutsch Русский አማርኛ bm Македонски Malagasy Oromoo ភាសាខ្មែរالشرح
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब नमाज़ में रुकू से सर उठाते, तो फ़रमाते : ""سمع الله لِمَن حمده"" यानी जिसने अल्लाह की प्रशंसा की, अल्लाह उसकी प्रशंसा को ग्रहण करता है और उसे सवाब देता है। फिर इन शब्दों में अल्लाह की प्रशंसा करते : "" اللَّهُمَّ رَبَّنَا لَكَ الْحَمْدُ، مِلْءَ السَّمَاوَاتِ وَمِلْءَ الْأَرْضِ وَمِلْءَ مَا شِئْتَ مِنْ شَيْءٍ بَعْدُ "" यानी ऐसी प्रशंसा जो आकाशों, ज़मीनों और उनके बीच के स्थान को भर दे और उन तमाम चीज़ों को भर दे, जो अल्लाह चाहे।فوائد الحديث
उस ज़िक्र का बयान जो रुकू से सर उठाते समय कहना मुसतहब है।
रुकू से उठने के बाद पूरे इत्मीनान (शांति एवं स्थिरता) के साथ सीधा खड़ा होना ज़रूरी है। क्योंकि इस पूरे ज़िक्र को उसी समय पढ़ना संभव है, जब आदमी पूरे इत्मीनान के साथ खड़ा हो।
इस ज़िक्र को हर नमाज़ में पढ़ना शरीयत सम्मत है। नमाज़ चाहे फ़र्ज़ हो या नफ़ल।