बिल्ली अपवित्र नहीं है। यह तुम्हारे आप-पास घूमने-फिरने वालों तथा घूमने-फिरने वालियों में से है।

बिल्ली अपवित्र नहीं है। यह तुम्हारे आप-पास घूमने-फिरने वालों तथा घूमने-फिरने वालियों में से है।

कबशा बिंत काब बिन मालिक -जिनका विवाह अबू क़तादा के बेटे के सा हुआ था- कहती हैं कि अबू क़तादा आए, तो उन्होंने उनके लिए वज़ू का पानी निकालकर दिया। इतने में एक बिल्ली आई और वही पानी पीने लगी। यह देख उन्होंने बरतन को झुका दिया, यहाँ तक कि उसने अच्छी तरह पी लिया। कबशा कहती हैं : उन्होंने मुझे अपनी ओर देखते हुए देखा, तो फ़रमाया : ऐ मेरी भतीजी! क्या तुझे इसपर आश्चर्य हो रहा है? मैंने कहा : हाँ। तब फ़रमाया : अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है : “बिल्ली अपवित्र नहीं है। यह तुम्हारे आप-पास घूमने-फिरने वालों तथा घूमने-फिरने वालियों में से है।”

[सह़ीह़] [इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे नसाई ने रिवायत किया है। - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है। - इसे दारिमी ने रिवायत किया है।]

التصنيفات

नापाकियों को दूर करना, बर्तन एवं पात्र, इस्लाम में जानवरों के अधिकार