तुम्हारा रास्तों में बैठने से क्या लेना- देना है? रास्तों में बैठने से बचो

तुम्हारा रास्तों में बैठने से क्या लेना- देना है? रास्तों में बैठने से बचो

अबू तलहा ज़ैद बिन सह्ल (रज़ियल्लाहु अनहु) कहते हैं कि हम घरों के सामने के बरामदों में बैठे हुए बातें कर रहे थे कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) आए और हमारे सामने खड़े होकर आपने फ़रमाया: तुम्हारा रास्तों में बैठने से क्या लेना- देना है? रास्तों में बैठने से बचो। हमने कहा: हम यहाँ जायज़ मक़सद से बैठे हैं। हम यहाँ बैठे हैं ताकि हम आपस में वार्तालाप और अच्छी बात- चीत करें। आपने फ़रमाया: यदि बैठना ही है तो रास्ते का हक़ अदा करो। इस तरह कि निगाहें झुकी रहें, सलाम का उत्तर दो और अच्छी बात कहो।

[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

التصنيفات

फ़ज़ीलतें तथा आदाब, राह चलने तथा बाज़ार जाने के आदाब