إعدادات العرض
1- अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने हर उस वस्तु में शुफ़आ़ (साँझे की संपत्ति में एक साझीदार के अपना हिस्सा बेच देने की स्थिति में दूसरे साझीदार अथवा साझीदारों के लिए खरीदने वाले को उसकी क़ीमत देकर उसे प्राप्त करने का अधिकार) रखा है (तथा एक रिवायत के अनुसार शुफ़आ़ का निर्णय दिया है), जो बाँटी न गई हो। परन्तु जब सीमाएँ स्थापित हो जाएँ और रास्ते निकाल दिए जाएँ तो शुफ़आ़ नहीं है।