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1- एहराम बाँधे व्यक्ति का ऐसे शिकार का मांस खाना, जिसे उसके लिए शिकार न किया गया हो और उसने शिकार करने में मदद भी न की हो।
2- मुझे अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास लाया गया तो जूएँ मेरे चेहरे पर झड़-झड़कर गिर रही थीं। यह देख आपने कहाः मैं नहीं समझता था कि तुम्हारी तकलीफ़ इस हद तक पहुँच चुकी है, जो अभी मैं देख रहा हूँ। (अथवा मैं नहीं समझता था कि तुम्हारी परेशानी इस हद तक पहुँच चुकी है, जो मैं देख रहा हूँ) क्या तुम्हें एक बकरी मिल सकती है? उसने कहाः नहीं। तो फ़रमायाः तीन रोज़े रखो या छह निर्धनों को खाना खिलाओ।