हमें मुग़ीरा बिन शोबा ने नमाज़ पढ़ाई और दो रकात के बाद खड़े हो गए। हमने 'सुबहानल्लाह' कहा, तो उन्होंने भी…

हमें मुग़ीरा बिन शोबा ने नमाज़ पढ़ाई और दो रकात के बाद खड़े हो गए। हमने 'सुबहानल्लाह' कहा, तो उन्होंने भी 'सुबहानल्लाह' कहा और नमाज़ जारी रखी। जब नमाज़ पूरी करके सलाम फेर चुके तो, त्रुटि के दो सजदे कर लिए। जब नमाज़ से बाहर आ गए, तो फ़रमायाः मैंने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- को ऐसा ही करते देखा है, जैसा मैंने किया है।

ज़ियाद बिन अलाक़ा कहते हैं कि हमें मुग़ीरा बिन शोबा ने नमाज़ पढ़ाई और दो रकात के बाद खड़े हो गए। हमने 'सुबहानल्लाह' कहा, तो उन्होंने भी 'सुबहानल्लाह' कहा और नमाज़ जारी रखी। जब नमाज़ पूरी करके सलाम फेर चुके तो, त्रुटि के दो सजदे कर लिए। जब नमाज़ से बाहर आ गए, तो फ़रमायाः मैंने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- को वैसा ही करते देखा है, जैसा मैंने किया है।

[सह़ीह़] [इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है।]

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नमाज़ में ग़लती, तिलावत तथा शुक्र के सजदे