जो क़ुरआन को सर्वाधिक याद रखता हो वह लोगों की इमामत करे।

जो क़ुरआन को सर्वाधिक याद रखता हो वह लोगों की इमामत करे।

अबू मसऊद अंसारी -रज़ियल्लाहु अन्हु- से वर्णित है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : “जो क़ुरआन को सर्वाधिक याद रखता हो वह लोगों की इमामत करे, यदि सारे लोग क़ुरआन को याद करने में समान हों तो जो सर्वाधिक सुन्नत का ज्ञानी हो (वह इमामत करे), यदि सभी लोग सुन्नत के ज्ञान में भी समान हों तो जिसने सर्वप्रथम हिजरत की हो वह इमामत करे, और यदि हिजरत करने में भी सभी समान हों तो जिसने सर्वप्रथम इस्लाम धर्म अपनाया हो वह इमामत करे, (और याद रहे) कोई आदमी किसी आदमी की हुकूमत की जगह में जाकर इमामत न करे, और उसके घर में उसके मसनद पर उसकी आज्ञा के बिना न बैठे।”

[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

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इमाम तथा उसके पीछे नमाज़ पढ़ने वाले के अहकाम