यह कौन होता है मुझपर क़सम उठाने वाला कि मैं अमुक व्यक्ति को क्षमा नहीं करूँगा? मैंने उसे क्षमा कर दिया और तेरे…

यह कौन होता है मुझपर क़सम उठाने वाला कि मैं अमुक व्यक्ति को क्षमा नहीं करूँगा? मैंने उसे क्षमा कर दिया और तेरे कर्मों को व्यर्थ कर दिया।

जुंदुब बिन अब्दुल्लाह (रज़ियल्लाहु अंहु) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "एक व्यक्ति ने कहाः अल्लाह की क़सम, अल्लाह अमुक व्यक्ति को क्षमा नहीं करेगा, तो अल्लाह ने कहाः यह कौन होता है मुझपर क़सम उठाने वाला कि मैं अमुक व्यक्ति को क्षमा नहीं करूँगा? मैंने उसे क्षमा कर दिया और तेरे कर्मों को व्यर्थ कर दिया।" तथा एक हदीस में है कि ऐसा कहने वाला एक सदाचारी बंदा था। अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अंहु) कहते हैं कि उसने एक बात ऐसी कह दी कि उसकी दुनिया एवं आख़िरत चौपट हो गई।

[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

الشرح

इस हदीस में अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने ज़बान की विनाशता एवं विध्वंसता से सावधान करते हुए बताया है कि एक व्यक्ति ने क़सम खाकर कहा कि अल्लाह अमुक पापी व्यक्ति को क्षमा नहीं करेगा। दरअसल, उसके दिल में यह बात बैठी हुई थी कि अल्लाह के निकट उसे एक विशेष स्थान प्राप्त है और इस पापी की कोई हैसियत नहीं है। इसलिए, एक तरह से उसने अल्लाह के चारों ओर अपने आदेश का घेरा डाल दिया और उसे अपनी बात का पाबंद बनाने का प्रयास किया। चूँकि यह अल्लाह को राह दिखाने का प्रयास और उसके साथ अशिष्टता थी, इसलिए अल्लाह ने उस आदमी के हक़ में दुनिया एवं आखिरत की नाकामी और नामुरादी लिख दी।

التصنيفات

बात करने तथा चुप रहने के आदाब