जो रोज़ा बाक़ी छोड़कर मर जाए, उसका वली (अभिभावक या करीबी रिश्तेदार) उसकी ओर से रोज़ा रखेगा।

जो रोज़ा बाक़ी छोड़कर मर जाए, उसका वली (अभिभावक या करीबी रिश्तेदार) उसकी ओर से रोज़ा रखेगा।

आइशा- रज़ियल्लाहु अन्हा- कहती हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः जो रोज़ा बाक़ी छोड़कर मर जाए, उसका वली (अभिभावक या करीबी रिश्तेदार) उसकी ओर से रोज़ा रखेगा।

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

الشرح

आइशा -अल्लाह उनसे प्रसन्न हो- कहती हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने उस व्यक्ति के अभिभावक को, जो अपने ज़िम्मे फ़र्ज़ रोज़ा, जैसे कफ़्फ़ारा, मन्नत या रमज़ान का रोज़ा छोड़कर मर जाए, आदेश दिया है कि उसकी ओर से रोज़ा रखे, क्योंकि यह मृतक पर क़र्ज़ है। याद रहे कि मृतक के क़रीबी रिश्तेदार उसकी ओर से रोज़ा रखने के सबसे हक़दार हैं, क्योंकि यह उसपर उपकार और उसके नाते का हक़ अदा करना है। वैसे, यह आदेश इसतेहबाब के लिए है और इसका अनुपालन वाजिब नहीं है।

التصنيفات

रोज़ों की क़ज़ा