إعدادات العرض
1- क्या बात है कि माहवारी वाली स्त्री छूटे हुए रोज़े बाद में रख लेती है, लेकिन छूटी हुई नमाज़ें बाद में नहीं पढ़ती? उन्होंने कहाः क्या तू हरूरिया है? मैंने कहाः नहीं, मैं हरूरिया तो नहीं हूँ, लेकिन पूछ्ना चाहती हूँ। तब उन्होंने कहाः हमें इस स्थिति से गुज़रना पड़ता, तो हमें छूटे हुए रोज़ों को बाद रख लेने का आदेश दिया जाता, लेकिन छूटी हुई नमाज़ों को बाद में पढ़ने का आदेश नहीं दिया जाता था।
2- जो रोज़ा बाक़ी छोड़कर मर जाए, उसका वली (अभिभावक या करीबी रिश्तेदार) उसकी ओर से रोज़ा रखेगा।
3- मेरी माँ मर गई है और उसपर एक महीने का रोज़ा है, ऐसे में क्या मैं उसकी तरफ़ से रोज़ा रख लूँ? आपने फ़रमायाः यदि तेरी माँ पर क़र्ज होता तो क्या तू उसकी ओर से उसे अदा करता? उसने कहाः ज़रूर! तो फ़रमायाः फिर तो अल्लाह का क़र्ज इस बात का अधिक हक़दार है कि उसे अदा किया जाए।