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जब कोई मुसलमान अपने बीमार भाई का हाल जानने जाता है, तो वापस लौटने तक वह जन्नत के फलों को चुनने में लगा होता है।
जब कोई मुसलमान अपने बीमार भाई का हाल जानने जाता है, तो वापस लौटने तक वह जन्नत के फलों को चुनने में लगा होता है।
सौबान (रज़ियल्लाहु अन्हु) का वर्णन है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः “जब कोई मुसलमान अपने बीमार भाई का हाल जानने जाता है, तो वापस लौटने तक वह जन्नत के फलों को चुनने में लगा होता है।" लोगों ने पूछाः ऐ अल्लाह के रसूल, (आपके शब्द) "ख़ुरफ़तुल जन्नह" से क्या अभिप्राय है? आपने फरमायाः "जन्नत के फल।”
[सह़ीह़] [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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बीमार का हाल जानने जाने के आदाब