क्या तुम नहीं सुनते? क्या तुम नहीं सुनते? निश्चय ही सादगी और सरलता ईमान की निशानी है। निश्चय ही सादगी और सरलता ईमान…

क्या तुम नहीं सुनते? क्या तुम नहीं सुनते? निश्चय ही सादगी और सरलता ईमान की निशानी है। निश्चय ही सादगी और सरलता ईमान की पहचान है।

अबू उमामा इयास बिन सालबा अंसारी हारिसी (रज़ियल्लाहु अन्हु) कहते हैं कि एक दिन अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथियों ने आपके सामने दुनिया की चर्चा की, तो अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया : "क्या तुम नहीं सुनते? क्या तुम नहीं सुनते? निश्चय ही सादगी और सरलता ईमान की निशानी है। निश्चय ही सादगी और सरलता ईमान की पहचान है।"

[ह़सन लि-ग़ैरिही (अन्य सनदों अथवा रिवायतों के साथ मिलकर हसन)] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]

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सरहनायोग्य आचरण