कोई महिला किसी महिला का विवाह सम्पन्न न कराए, न कोई महिला स्वयं अपना विवाह कर ले, ऐसी महिला जो स्वयं अपना विवाह कर…

कोई महिला किसी महिला का विवाह सम्पन्न न कराए, न कोई महिला स्वयं अपना विवाह कर ले, ऐसी महिला जो स्वयं अपना विवाह कर लेती है वह ज़ानिया (दुराचारी) है।

अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अन्हु- से वर्णित है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : “कोई महिला किसी महिला का विवाह सम्पन्न न कराए, न कोई महिला स्वयं अपना विवाह कर ले, ऐसी महिला जो स्वयं अपना विवाह कर लेती है वह ज़ानिया (दुराचारी) है।”

[सह़ीह़] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है ।]

الشرح

यह हदीस बताती है कि स्त्री निकाह में वली नहीं बन सकती। न अपने निकाह में और न किसी और के निकाह में। जिस निकाह में कोई स्त्री स्वयं अपनी शादी कराए, वह अवैध निकाह है। जहाँ तक इस हदीस के शब्द : "ऐसी महिला जो स्वयं अपना विवाह कर लेती है वह ज़ानिया (दुराचारी) है" की बात है, तो ये शब्द अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अनहु- के हैं। वह कहना यह चाहते हैं कि निकाह कराने की ज़िम्मेवारी किसी स्त्री का उठाना दरअसल दुराचारी महिला का काम है। वली के बिना निकाह होना ही नहीं चाहिए।

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