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ऐ अल्लाह के रसूल! मैं ने शादी कर ली है। फ़रमायाः उसका महर क्या है?, कहाः गिठली समान सोना। फ़रमायाः अल्लाह बरकत दे,…
ऐ अल्लाह के रसूल! मैं ने शादी कर ली है। फ़रमायाः उसका महर क्या है?, कहाः गिठली समान सोना। फ़रमायाः अल्लाह बरकत दे, वलीमा करो, चाहे एक बकरी ही क्यों न हो।
अनस बिन मालिक- रज़ियल्लाहु अनहु- से वर्णन है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अब्दुर्रहमान बिन औफ़ पर ज़ाफरान (केसर) का रंग देखा तो फ़रमायाः क्या बात है? तो उन्होंने कहाः ऐ अल्लाह के रसूल! मैं ने शादी कर ली है। फ़रमायाः उसका महर क्या है? कहाः गिठली समान सोना। फ़रमायाः अल्लाह बरकत दे, वलीमा करो, चाहे एक बकरी से ही क्यों न हो।
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अब्दुर्रहमान बिन औफ़ (रज़ियल्लाहु अंहु) के शरीर पर ज़ाफ़रान का कोई धब्बा देखा। चूँकि पुरुषों को ऐसी ख़ुशबू लगानी चाहिए, जिसमें सुगंध हो और धब्बा न हो, इसलिए आपने इनकार के अंदाज़ में उनके शरीर पर लगे इस धब्बे का कारण पूछा, तो उन्होंने बताया कि उनकी नई-नई शादी हुई है। संभवतः यह उनकी पत्नी से लगा हो। इसपर आपने उन्हें इसकी छूट दी। चूँकि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) सहाबा की ख़बर रखते थे और उनसे प्रेम करते थे, इसलिए उनके हालात पूछते रहते थे, ताकि कोई अच्छी बात देखें, तो उसे स्वीकार्यता प्रदान करे और बुरी बात देखें, तो उससे मना करें। यही कारण है कि आपने महर के बारे में पूछा। उन्होंने कहाः एक गुठली के बराबर सोना दिया है। इसपर आपने बरकत की दुआ दी और निकाह के बाद वलीमा करने का आदेश दिया, चाहे एक बकरी ही क्यों न हो।