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1- ऐ अल्लाह के रसूल! मैं ने शादी कर ली है। फ़रमायाः उसका महर क्या है?, कहाः गिठली समान सोना। फ़रमायाः अल्लाह बरकत दे, वलीमा करो, चाहे एक बकरी ही क्यों न हो।
2- तुम्हें क़ुरआन का जो कुछ याद है, उसके बदले में मैंने उससे तुम्हारा विवाह कर दिया।
3- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने सफ़िय्या (रज़ियल्लाहु अंहा) को गुलामी से मुक्त किया और उनकी मुक्ति को उनका महर बनाया।
4- आइशा (रज़ियल्लाहु अंहा) से पूछा गया कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पत्नियों) का महर कितना होता था? उन्होंने कहाः आपकी पत्नियों के लिए आपका महर बारह ऊक़िया और एक नश्श (आधा ऊक़िया) था।
5- अली (रज़ियललाहु अंहु) ने कहाः मैंने फ़ातिमा (रज़ियल्लाहु अंहा) से शादी की और कहाः ऐ अल्लाह के रसूल, मुझे उनके साथ शादीशुदा जीवन आरंभ करने दें। तो आपने कहाः "उसे कुछ दो।" मैंने कहाः मेरे पास कुछ नहीं है। आपने कहाः "तुम्हारा वह हुतमी कवच कहाँ है?"
6- अब्दुल्लाह बिन मसऊद (रज़ियल्लाहु अंहु) के पास एक व्यक्ति का मामला आया, जिसने एक औरत से शादी की, किन्तु उसका महर निर्धारित नहीं किया और उससे संभोग करने से पहले ही मर गया। इसपर अब्दुल्लाह (रज़ियल्लाहु अंहु) ने कहाः लोगों से पूछो कि क्या उनके पास इस संबंध में अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की कोई हदीस है? लोगों ने कहाः ऐ अबू अब्दुर रहमान, हमें इसके बारे में कोई हदीस नहीं मिलती। यह सुन उन्होंने कहाः मैं अपनी राय से कहूँगा। यदि सही हुआ तो अल्लाह की ओर से उसकी तौफीक़ के कारण है।
7- सबसे अच्छा निकाह वह है, जो सबसे आसान हो।