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ज़ैद बिन साबित कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अ़रिय्या करने वाले अर्थात सूखी खुजूर के…
ज़ैद बिन साबित कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अ़रिय्या करने वाले अर्थात सूखी खुजूर के बदले में ताज़ा खुजूर खरीदने वाले को अनुमान लगाकर सौदा करने की अनुमति दी है।
ज़ैद बिन साबित कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अ़रिय्या करने वाले अर्थात सूखी खुजूर के बदले में ताज़ा खुजूर खरीदने वाले को अनुमान लगाकर सौदा करने की अनुमति दी है। तथा मुस्लिम की रिवायत में हैः ताज़ा खुजूर खाने के लिए सूखी खुजूर के बदले अनुमान लगाकर सौदा करने की अनुमति दी है।
[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
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पेड़ पर लगी ताज़ा खजूरों को सूखी खजूरों के बदले बेचना, जिसे 'मुज़ाबना' कहा जाता है, हराम है; क्योंकि यहाँ एक ही श्रेणी की दो वस्तुओं के बराबर होने की जानकारी नहीं है, जो कि आवश्यक है। लेकिन इस आम नियम से 'अराया' अपवाद है। अराया, अर्थात पेड़ पर लगी ताज़ा खजूरों को कुछ ख़ास शर्तों के साथ सूखी खजूरों के बदले में बेचना। उन्हीं शर्तों में से एक यह है कि ख़रीद-बिक्री पाँच वसक़ से कम में हो। क्योंकि पहले ज़माने में नक़द, जैसे दीनार और दिरहम कम हुआ करते थे। ऐसे में, ताज़ा खजूर और उसके स्वाद के आनंद लेने का समय आता और लोगों को उसकी आवश्यकता भी होती, लेकिन उनके पास ख़रीदने के लिए नक़द नहीं होते। यही कारण है कि उन्हें ताज़ा खजूरों के स्वाद का आनंद लेने के लिए सूखी खजूरों के बदले ताज़ा खजूरें खरीदने की छूट दी। लेकिन इस बात का ख़याल रखा कि दोनों बराबर हों और इसके लिए यह अंदाज़ा लगाया जाए कि पेड़ पर लगी खजूरों का वज़न सूखने के बाद कितना हो सकता है। इस तरह 'अराया', 'मुज़ाबना' से अपवाद है, जो कि हराम है।التصنيفات
संपत्ति तथा फलों का क्रय-विक्रय