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बेशक अल्लाह ने हर हक़ वाले को उसका हक़ दे दिया है और वारिस के लिए कोई वसीयत नहीं है। बिस्तर वाले के लिए बच्चा है और…
बेशक अल्लाह ने हर हक़ वाले को उसका हक़ दे दिया है और वारिस के लिए कोई वसीयत नहीं है। बिस्तर वाले के लिए बच्चा है और व्यभिचारी के लिए पत्थर है। जो पिता को छोड़कर दूसरे से अपने को मंसूब करता है अथवा मुक्त करने वाले को छोड़कर दूसरे की ओर निस्बत करता है, उसपर अल्लाह की लानत है। अल्लाह उसकी न फ़र्ज़ इबादत ग्रहण करेगा, न नफ़ल इबादत।
अम्र बिन खारिजा -अल्लाह उनसे प्रसन्न हो- कहते हैं कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने अपनी ऊँटनी पर सवार होकर ख़ुतबा दिया। उस समय मैं उसकी गरदन के नीचे खड़ा था, वह जुगाली कर रही थी तथा उसकी लार मेरे कंधों के बीच गिर रही थी। मैंने आपको फ़रमाते हुए सुना : “बेशक अल्लाह ने हर हक़ वाले को उसका हक़ दे दिया है और वारिस के लिए कोई वसीयत नहीं है। बिस्तर वाले के लिए बच्चा है और व्यभिचारी के लिए पत्थर है। जो पिता को छोड़कर दूसरे से अपने को मंसूब करता है अथवा मुक्त करने वाले को छोड़कर दूसरे की ओर निस्बत करता है, उसपर अल्लाह की लानत है। अल्लाह उसकी न फ़र्ज़ इबादत ग्रहण करेगा, न नफ़ल इबादत।”
[सह़ीह़] [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]
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वसीयत