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1- कोड़े खाया हुआ व्यभिचारी अपने जैसी स्त्री ही से निकाह कर सकता है।
2- जिसने अपने दास अथवा दासी पर व्यभिचार का आरोप लगाया और वह उससे बरी है, उसे क़यामत के दिन कोड़े लगाए जाएँगे। हाँ, किंतु यदि बात वैसी ही हो, जैसी उसने कही थी (तो नहीं)।
3- आइशा -रज़ियल्लाहु अन्हा- का यह बयान कि जब उनकी बराअत (बेगुनाही एवं सतीत्व) से संबंधित आयत उतरी, तो नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- मिंबर पर खड़े हुए तथा इस मामले का उल्लेख किया और कु़रआन का पाठ किया। फिर जब मिंबर से उतरे तो दो पुरुष तथा एक महिला के संबंध में आदेश दिया कि (उन्हें झूठा इल्ज़ाम लगाने का दंड जाए) अतः उनपर हद जारी की गई।
4- हिलाल बिन उमैया -रज़ियल्लाहु अन्हु- ने नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के सामने अपनी पत्नी पर शरीक बिन सहमा के साथ कुकर्म करने का आरोप लगाया, तो अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : “तुम (चार) गवाह पेश करो, वरना तुम्हारी पीठ पर मिथ्या आरोप लगाने की सज़ा के तौर पर कोड़े लगाए जाएँगे।”