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1- ऐ अबूज़र, तुम एक दुर्बल व्यक्ति हो और यह पद एक अमानत है और यह क़यामत के दिन अपमान तथा शर्मिंदगी का सामान भी है। यह और बात है कि कोई उसे उसके हक़ के साथ प्राप्त करे और उसके बारे में उसके ऊपर जो ज़िम्मेवारियाँ आती हैं, उन्हें अदा करे।