अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- उमामा बिंत ज़ैनब (अपनी नातिन) को उठाए हुए नमाज़ पढ़ लेते थे।

अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- उमामा बिंत ज़ैनब (अपनी नातिन) को उठाए हुए नमाज़ पढ़ लेते थे।

अबू क़तादा- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- उमामा बिंत ज़ैनब (अपनी नातिन) को उठाए हुए नमाज़ पढ़ लेते थे। और अबुल-आस बिन रबी बिन अब्दे शम्स- रज़ियल्लाहु अन्हु- की रिवायत में है कि जब सजदे में जाते तो उन्हें रख देते और जब खड़े होते तो उठा लेते।

[सह़ीह़] [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

الشرح

नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपनी नवासी उमामा बिंत ज़ैनब को नमाज़ की हालत में उठा लेते थे। जब खड़े होते तो अपने कंधे पर उठा लेते और जब रुकू या सजदा करते तो ज़मीन में रख देते।

التصنيفات

नमाज़ का तरीक़ा, आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की कृपा