मेरे निकट अल्लाह की झूठी कसम खाना किसी और की सच्ची कसम खाने से अधिक प्रिय है।

मेरे निकट अल्लाह की झूठी कसम खाना किसी और की सच्ची कसम खाने से अधिक प्रिय है।

अब्दुल्लाह बिन मसऊद (रज़ियल्लाहु अन्हु) कहते हैंः "मेरे निकट अल्लाह की झूठी कसम खाना किसी और की सच्ची कसम खाने से अधिक प्रिय है।"

[सह़ीह़] [इसे इब्ने अबी शैबा ने रिवायत किया है। - इसे अब्दुर रज़्ज़ाक़ ने रिवायत किया है।]

الشرح

अब्दुल्लाह बिन मसऊद -रज़ियल्लाहु अनहु- कहते हैं कि यदि मान लिया जाए कि मैं किसी बात पर अल्लाह की झूठी क़सम खा लेता हूँ, तो यह मेरे निकट इससे अधिक प्रिय है कि मैं किसी बात पर अल्लाह के सिवा किसी और की सच्ची क़सम खाऊँ। उन्होंने अल्लाह की झूठी कसम को किसी अन्य की सच्ची क़सम से बेहतर इसलिए समझा कि अल्लाह की क़सम में तौहीद की नेकी है और झूठ का गुनाह है। जबकि किसी और की सच्ची कसम में सच्चाई की नेकी है और शिर्क का गुनाह। ज़ाहिर सी बात है कि तौहीद की नेकी सच्चाई की नेकी से बड़ी है और झूठ का गुनाह शिर्क के गुनाह से कमतर है।

التصنيفات

उपासना (इबादत) से संबंधित एकेश्वरवाद