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अल्लाह के अर्श की तुलना में उसकी कुर्सी का उदाहरण यूँ समझो, जैसे किसी बड़े मैदान में लोहे का एक कड़ा पड़ा हो।
अल्लाह के अर्श की तुलना में उसकी कुर्सी का उदाहरण यूँ समझो, जैसे किसी बड़े मैदान में लोहे का एक कड़ा पड़ा हो।
अबूज़र ग़िफ़ारी (रज़ियल्लाहु अंहु) अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से रिवायत करते हैं कि आपने फ़रमायाः "अल्लाह के अर्श की तुलना में उसकी कुर्सी का उदाहरण यूँ समझो, जैसे किसी बड़े मैदान में लोहे का एक कड़ा पड़ा हो।"
[सह़ीह़] [इसे इब्ने अबी शैबा ने 'अल्-अर्श' में रिवायत किया है। - इसे ज़हबी ने 'अल्-उलू' में रिवायत किया है।]
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अबूज़र -रज़ियल्लाहु अनहु- की इस हदीस में अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने बताया है कि अल्लाह तआला की कुर्सी, जो अपने स्थान पर भव्य एवं विशाल है, वह अर्श की तुलना में ऐसी है, जैसे किसी बहुत बड़े मैदान में एक लोहे का कड़ा पड़ा हो। दरअसल, यह इस कायनात के रचयिता और उसके अनंत सामर्थ्य का एक प्रमाण है।التصنيفات
प्रभुता से संबंधित एकेश्वरवाद